प्राचीन भारतीय आर्य समाज में चातुर्वर्ण्य तथा वर्तमान जाति व्यवस्था

80.00

श्रीअरविन्द के आलोक में विवेचन करने पर इस विषय पर एक सच्चा परिप्रेक्ष्य प्राप्त होता है कि किस प्रकार उपरोक्त सभी विभीषिकाओं व गहलतफहमियों का मूल कारण चतुर्विध विभाजन की दो प्रणालियों को भिन्न-भिन्न करके नहीं समझ पाने के कारण उत्पन्न होती हैं, जिनमें से एक प्रणाली गुणात्मक है और दूसरी स्तरानुक्रमबद्ध है।

Caste System Hindi(Sample)

Description

जातियों और वर्णों के विभाजन का विषय बड़ा ही गहन विषय है जो भयंकर गलतफहमियों का शिकार रहा है। इसके गहरे रहस्य के विषय में अनभिज्ञता अधिकांश कटुताओं और अनकही पीड़ाओं और अन्यायों का मूल रही है। श्रीअरविन्द के आलोक में विवेचन करने पर इस विषय पर एक सच्चा परिप्रेक्ष्य प्राप्त होता है कि किस प्रकार उपरोक्त सभी विभीषिकाओं व गहलतफहमियों का मूल कारण चतुर्विध विभाजन की दो प्रणालियों को भिन्न-भिन्न करके नहीं समझ पाने के कारण उत्पन्न होती हैं, जिनमें से एक प्रणाली गुणात्मक है और दूसरी स्तरानुक्रमबद्ध है।

यह पुस्तक भारतीय संस्कृति के मूल भाव व उसमें वर्ण व्यवस्था के स्थान व औचित्य, गीता में चातुर्वर्ण्य सिद्धांत, स्वामी विवेकानन्द द्वारा प्रस्तुत वर्णों व जातियों की व्यवस्था के पीछे के गंभीर सत्य, मूल वर्ण व्यवस्था में पैदा हुई गलतफहमियों के ऐतिहासिक कारणों आदि विषयों को समाविष्ट करती है।

Caste System Hindi(Sample)

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “प्राचीन भारतीय आर्य समाज में चातुर्वर्ण्य तथा वर्तमान जाति व्यवस्था”

Your email address will not be published.

You may also like…